वक़्त के धुंधले चेहरे के पीछे
एक चेहरा मेरा भी दिखाई दे तो कहना
बढते पहियों के साथ साथ
साया मेरा नज़र आये तो कहना
कहाँ चल दिया है तू ?
आखिर कब तक इस कदर चलता रहेगा तू ?
जंग लगी इस किवड़िया की भी अब यही पुकार है
कब तक अग्रसर रहकर भी लड़ता रहेगा तू?
तब, हाँ तब जो पुकार सुनोगे
वो मेरी होगी
तब, जो कराह गूंजेगी
वो मेरी होगी
पाओगे अपना उत्तर भी ज़रूर
पर जब थक-हार कर हो चुकी होगी ये काय चूर
तब जो अर्थी उठेगी वो मेरी होगी
वो मेरी होगी !
वो मेरी होगी !
Oh!..another mind blowing masterpiece..Rana ur skills of expressing innate emotions in hindi are both tantalizing and awesome.Your narration of an expression gives me shivers...would surely love to see all these beautiful works by you published someday..
ReplyDeleteShukriya :D
ReplyDeleteomg god!! i ever knew you were sooo damn amazing a poet!!! WOAH DUDE!!!
ReplyDeleteHan bas yuhin thoda time pass ! :p
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