कल की ही यह बात है यारो
एक धर्म युद्ध सा शुरू हुआ
श्वेत रंग का कुर्ता धारे
ना हटने को तैयार है हम
ज्यू ज्यू वो चला मिटाने
भ्रष्टाचार के दानव को
त्यु त्यु ही यह स्पष्ट हुआ
आज मानव खाए मानव को
साथ जुटे कई और दीवाने
मस्ताने इस दलदल से
ख्वाब क्योंकि कोई बुन चुका था
एक लक्ष्य को पाने हर दिल से
अब बस गुजारिश की आंधी है
चाहे बनती समाधि है
ना हटने को तैयार है हम
न झुकने को तैयार कातिल
कातिल इस संविधान के
जो झुके नहीं एक प्रावधान पे
अंधे हैं वो इन बूढों के आगे
अडिग आखरी सांस तक भागे
बहरे हैं इस शोर आगे जो
कंठ की पीड़ा भुला आये आगे
ना हटने को तैयार है हम
न झुकने को तैयार कातिल
कातिल इस संविधान के
जो झुके नहीं एक प्रावधान पे
bhaavo ko bhot hi spashtha roop diya hai,,
ReplyDeleteuttam abhivyakti :)
tah-e-dil se shukriya ! :)
ReplyDeletebht bht achcha likha h.. "pravdhan" ka matlab kya hota h..?
ReplyDeleteThanks Aashi !
ReplyDeleteand
pravadhan is provision for something .